Hanukkah Festival 2025 इन दिनों दुनियाभर में चर्चा में है। हनुक्का यहूदी धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे रोशनी का पर्व (Festival of Lights) कहा जाता है। यह त्योहार हर साल आठ दिनों तक मनाया जाता है। साल 2025 में हनुक्का की शुरुआत 14 दिसंबर की शाम से हुई है और यह 22 दिसंबर की शाम तक चलेगा। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश, अत्याचार पर आस्था और निराशा पर उम्मीद की जीत का प्रतीक माना जाता है।
हनुक्का का अर्थ और धार्मिक महत्व
‘हनुक्का’ एक हिब्रू शब्द है, जिसका मतलब होता है समर्पण (Dedication)। यह त्योहार यहूदी समुदाय की आस्था और साहस को दर्शाता है। हनुक्का के दौरान लोग मोमबत्तियां जलाते हैं, प्रार्थना करते हैं और परिवार के साथ समय बिताते हैं। यह त्योहार खासतौर पर सर्दियों के मौसम में मनाया जाता है, जब अंधेरा ज्यादा होता है और रोशनी का महत्व और बढ़ जाता है।
हनुक्का क्यों मनाया जाता है? जानिए इतिहास
आज से करीब 2000 साल पहले, जब यहूदी इलाकों पर ग्रीक शासकों का शासन था, तब यहूदियों पर अपने धर्म का पालन करने पर पाबंदी लगा दी गई थी। ग्रीक राजा एंटिओकस चतुर्थ ने यरूशलम के पवित्र मंदिर में अपनी मूर्ति स्थापित कर दी और यहूदियों को ग्रीक देवताओं की पूजा करने को मजबूर किया। यहूदियों ने इसका विरोध किया।
मैकाबीज़ की जीत और चमत्कार की कहानी
ग्रीक अत्याचारों के खिलाफ यहूदियों का एक छोटा समूह खड़ा हुआ, जिसे मैकाबीज़ कहा जाता है। संख्या में कम होने के बावजूद उन्होंने ग्रीक सेना को हरा दिया। जीत के बाद जब मंदिर को शुद्ध किया गया, तो वहां सिर्फ एक दिन का तेल बचा था, लेकिन चमत्कार यह हुआ कि वह दीपक आठ दिनों तक जलता रहा। इसी चमत्कार की याद में हनुक्का आठ दिन तक मनाया जाता है।
हनुक्का कैसे मनाया जाता है?
हनुक्का के दौरान हर दिन मेनोरा (एक खास दीपक) में एक-एक करके मोमबत्तियां जलाई जाती हैं। बच्चे ड्रेडल नाम का खेल खेलते हैं, पारंपरिक व्यंजन जैसे लैट्केस और सुफगानियोट खाए जाते हैं और परिवार व दोस्तों को तोहफे दिए जाते हैं। यह त्योहार खुशियों और एकजुटता का संदेश देता है।
हनुक्का का संदेश आज के दौर में
आज के समय में हनुक्का हमें यह सिखाता है कि हालात चाहे कितने भी मुश्किल क्यों न हों, आस्था, उम्मीद और सच्चाई की रोशनी कभी बुझती नहीं। यही वजह है कि यह त्योहार पूरी दुनिया में यहूदी समुदाय के लिए खास महत्व रखता है।





