भारत में अब विदेशी नौकरी और बाहरी जीवन का क्रेज धीरे-धीरे कम होता दिख रहा है। बीते तीन सालों में भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले लोगों की संख्या में 5% की गिरावट दर्ज की गई है। केंद्र सरकार ने संसद में इसका विस्तृत डेटा साझा किया है। आइए समझते हैं कि आखिर क्या बदला है और क्यों भारतीय विदेशों से धीरे-धीरे मोहभंग महसूस कर रहे हैं।
तीन साल में घटा विदेशी मोह
पिछले कुछ वर्षों में विदेशों में नौकरी, पढ़ाई और बसने का ट्रेंड तेजी से बढ़ा था, लेकिन अब तस्वीर बदल रही है।
स्टेट्स मिनिस्टर फॉर एक्सटर्नल अफेयर्स ने बताया कि—
- 2022 में 2,25,620 लोगों ने नागरिकता छोड़ी
- 2023 में 2,16,219
- 2024 में यह संख्या घटकर 2,06,378 रह गई
यानी 3 साल में लगभग 5% की कमी दर्ज हुई। यह संकेत है कि विदेशों के प्रति आकर्षण उतनी तेजी से नहीं बढ़ रहा, जितना पहले बढ़ता था।
5 साल में 9 लाख भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता
राज्यसभा में दिए गए लिखित जवाब के अनुसार पिछले 5 साल में 8,96,843 भारतीयों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी है। यह संख्या बड़ी है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों की तुलना में गिरावट साफ दिख रही है।
भारतीय अब विदेश जाने से पहले अधिक सतर्क और जागरूक हो रहे हैं, खासकर फर्जी नौकरी और मानव तस्करी के बढ़ते मामलों के कारण।
फर्जी जॉब ऑफर ने बढ़ाई चिंता
विदेश मंत्रालय ने खुलासा किया कि एक कंपनी को फर्जी नौकरी के झांसे देने पर नोटिस भी जारी किया गया है। इस कंपनी ने सोशल मीडिया के जरिए दक्षिण एशियाई देशों में नौकरी दिलाने का झूठा लालच दिया था।
सरकार ने बताया कि ऐसे मामलों से 6700 भारतीयों को सुरक्षित वापस लाया गया, जो इस बात का प्रमाण है कि विदेशों में धोखाधड़ी तेजी से बढ़ रही है और लोग इनसे बचने के लिए अब अधिक सोच-समझकर कदम उठा रहे हैं।
क्यों कम हो रहा है विदेशों का आकर्षण?
- फर्जी नौकरी एजेंसियों का बढ़ता खतरा
- विदेशों में महंगाई और असुरक्षा की भावना
- कई देशों में कड़ी वीज़ा नीतियां
- भारत में बढ़ते रोजगार और स्टार्टअप अवसर
- परिवार से दूर रहने की भावनात्मक दिक्कतें
इन सभी कारणों ने विदेश की चमक को कहीं न कहीं फीका कर दिया है।
सरकार का कड़ा रुख और बढ़ती जागरूकता
सरकार लगातार ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई कर रही है। विदेश मंत्रालय द्वारा बार-बार एडवाइजरी जारी की जा रही हैं ताकि भारतीय गलत लोगों के झांसे में न आएं।
साथ ही लोग भी अब समझ रहे हैं कि विदेश जाना हमेशा सुरक्षित या फायदे का सौदा नहीं होता। यही वजह है कि नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या में कमी आ रही है।





