इंडिया और United States के बीच लंबे समय से अटकी ट्रेड डील अब फाइनल होने के करीब मानी जा रही है। विदेश मंत्री S. Jaishankar ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि यह डील “जल्द” हो सकती है। हालांकि उन्होंने कोई तय समय नहीं बताया, लेकिन इतना ज़रूर कहा कि डिप्लोमेसी में चीज़ें कभी भी बदल सकती हैं।
मतलब साफ है—दोनों देशों के बीच बातचीत तेज़ है और माहौल सकारात्मक दिख रहा है।
डील कब होगी?—कई राउंड की मीटिंग्स, पर तारीख़ तय नहीं
विदेश मंत्री ने बताया कि ट्रेड डील पर कई दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन अभी यह नहीं कहा जा सकता कि यह डील कब और किन शर्तों पर होगी। जब उनसे पूछा गया कि क्या यह जल्द हो सकती है, तो उन्होंने साफ कहा—“हाँ, बिल्कुल।”
यानी उम्मीदें ज़िंदा हैं, पर डेट की घोषणा अभी दूर है।
मज़दूर, किसान और मिडिल क्लास—भारत की पहली प्राथमिकता
भारत साफ कह चुका है कि इस ट्रेड डील में वह अपने किसानों, मजदूरों और मिडिल क्लास के हितों से समझौता नहीं करेगा। भारत और अमेरिका के बीच कई मुद्दों पर सहमति बन रही है, लेकिन कुछ पेंच अभी भी फंसे हैं।
भारत का कहना है कि अमेरिकी दबाव में मार्केट पूरी तरह नहीं खोली जा सकती। देश का डेयरी सेक्टर लाखों परिवारों का सहारा है—ऐसे में विदेशी कंपनियों को अभी खुली एंट्री देने से नुकसान हो सकता है।
क्या-क्या हैं भारत के एतराज़?—कृषि और डेयरी सेक्टर बड़ा मुद्दा
भारत की सबसे बड़ी चिंता अमेरिकी कृषि उत्पाद हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत अपने बाज़ार में कॉर्न, सोयाबीन, गेहूं, इथेनॉल, फ्रूट्स और नट्स जैसे उत्पादों को खुली मंज़ूरी दे।
भारत का कहना है कि अमेरिका में उगाए जाने वाले कॉर्न और सोयाबीन ज्यादातर जीन-मॉडिफाइड (GM) होते हैं, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए ख़तरा बन सकते हैं।
इसी तरह, डेयरी सेक्टर में अमेरिकी कंपनियों की एंट्री से भारत के छोटे डेयरी किसानों पर बड़ा असर पड़ सकता है।
US टीम का भारत दौरा—अटके मुद्दों को सुलझाने की कोशिश
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जल्द ही US trade delegation भारत आने वाली है। यह टीम उन मुद्दों पर चर्चा करेगी जिन पर अभी भी मतभेद है। माना जा रहा है कि यह विज़िट दोनों देशों के बीच डील को फाइनल करने की दिशा में आखिरी और अहम कदम साबित हो सकती है।





