दिल्ली धमाकों से जुड़ी जांच में चौंका देने वाली जानकारी सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक, आरोपी मुज़म्मिल ने 6.5 लाख रुपये में AK-47 खरीदी, जो बाद में आदिल के लॉकर से बरामद हुई। जांच एजेंसियों ने खुलासा किया कि मुज़म्मिल का हैंडलर मंसूर था, जबकि उमर को हाशिम के जरिए निर्देश दिए जा रहे थे। दोनों के ऊपर से एक शख्स इब्राहिम ऑपरेशन संभाल रहा था।
तुर्की से अफगानिस्तान भेजने की असफल कोशिश
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में मुज़म्मिल, आदिल और मुनज़फ्फर, ओकासा के निर्देश पर तुर्की पहुंचे थे। उनका उद्देश्य वहां से अफगानिस्तान पहुंचना था। लेकिन पाँच–छह दिन बाद जिस व्यक्ति ने उन्हें अफगानिस्तान भेजने का वादा किया था, उसने साफ मना कर दिया। ओकासा का संबंध TTP (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) से बताया जा रहा है और उससे संपर्क टेलीग्राम के जरिए हुआ था।
बम बनाने की सामग्री और ऑनलाइन ट्रेनिंग
जांच में सामने आया है कि उमर इंटरनेट पर बम बनाने के वीडियो और साहित्य पढ़ता था। उसने विस्फोटक सामग्री नूंह से खरीदी और इलेक्ट्रॉनिक सामान भागीरथ पैलेस व फरीदाबाद के NIT मार्केट से लिया। वहीं मुज़म्मिल भी ऑनलाइन कंटेंट के जरिए विस्फोटक बनाने की तकनीक सीख रहा था। दोनों के बीच पैसों के लेन-देन को लेकर बड़ा विवाद भी हुआ था।
यूनिवर्सिटी में झगड़ा और कार में छुपाए गए विस्फोटक
यूनिवर्सिटी परिसर में मुज़म्मिल और उमर के बीच पैसे को लेकर जोरदार झगड़ा हुआ, जिसे कई छात्रों ने अपनी आँखों से देखा। झगड़े के बाद उमर ने अपनी लाल ईको कार, जिसमें विस्फोटक रखे थे, मुज़म्मिल को सौंप दी। उमर ने विस्फोटकों और केमिकल को स्टोर करने के लिए डीप फ्रीज़र तक खरीदा था। उनका प्लान था कि अलग-अलग स्थानों पर एक साथ धमाके किए जाएँ।
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10 नवंबर 2025: दिल्ली को दहला देने वाला धमाका
दिल्ली में धमाका 10 नवंबर 2025 को हुआ था। यह एक कार ब्लास्ट था, जो लाल किला मेट्रो स्टेशन, गेट नंबर-1 के ट्रैफिक सिग्नल के पास हुआ। इस हमले को डॉ. उमर नाम के आत्मघाती हमलावर ने अंजाम दिया। इस धमाके में 13 लोगों की मौत हुई और कई गंभीर रूप से घायल हुए।NIA की जांच में बाद में एक बड़े डॉक्टर नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ, जो भारत के खिलाफ साजिश रच रहा था।





