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जबलपुर में RSS बैठक का दूसरा दिन, दत्तात्रेय होसबोले का बड़ा बयान

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RSS: मध्य प्रदेश के जबलपुर में चल रही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक के दूसरे दिन संगठन के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले (Dattatreya Hosabale) ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की उस मांग का विरोध किया, जिसमें उन्होंने आरएसएस पर बैन लगाने की बात कही थी।
होसबोले ने कहा कि “आरएसएस पर बैन लगाने का आखिर कारण क्या है? संघ तो राष्ट्र निर्माण का कार्य करता है और जनता ने उसे पहले ही स्वीकार कर लिया है। आरएसएस को बैन करने से क्या हासिल होगा?”

100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित की गई बैठक

जबलपुर के कचनार क्षेत्र में आयोजित इस बैठक में स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत भी मौजूद रहे। बैठक का उद्देश्य आरएसएस की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर होने वाले आयोजनों और देश से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करना था।
इसी दौरान दत्तात्रेय होसबोले ने स्पष्ट कहा कि “संघ ने हमेशा समाज और देश के हित में काम किया है, इसलिए जो लोग बैन की मांग कर रहे हैं, वे राष्ट्रहित की भावना को नहीं समझते।”

खड़गे ने उठाई थी बैन की मांग

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कुछ दिनों पहले कहा था कि “मेरी व्यक्तिगत राय है कि आरएसएस को बैन कर देना चाहिए। अगर प्रधानमंत्री मोदी वाकई सरदार वल्लभभाई पटेल के विचारों का सम्मान करते हैं, तो उन्हें आरएसएस पर रोक लगानी चाहिए।”
खड़गे ने यह भी आरोप लगाया था कि देश में जो भी कानून-व्यवस्था की समस्याएं हैं, उनके लिए भाजपा और आरएसएस जिम्मेदार हैं। वहीं उनके बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियंक खड़गे ने भी राज्य में सरकारी स्कूलों और मंदिरों में आरएसएस की गतिविधियों पर रोक लगाने की बात कही थी।

दत्तात्रेय होसबोले का पलटवार – “जनता ने आरएसएस को अपनाया है”

दत्तात्रेय होसबोले ने जबलपुर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि “संघ कोई राजनीतिक संगठन नहीं, बल्कि समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण का माध्यम है। हमें जनता का प्यार और विश्वास मिला है। जो लोग बैन की बात करते हैं, वे जनता के निर्णय का अपमान कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि “आरएसएस का उद्देश्य देश को मजबूत बनाना है, न कि किसी के खिलाफ काम करना। संघ ने हमेशा एकता और सेवा की भावना के साथ काम किया है।”

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1925 में नागपुर में हुई थी आरएसएस की स्थापना

आरएसएस की स्थापना वर्ष 1925 में नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। तब से लेकर अब तक यह संगठन देशभर में सामाजिक, धार्मिक और राष्ट्रहित के कार्य करता आ रहा है।
1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगाया गया था, लेकिन बाद में जांच में संघ का कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं पाया गया और बैन हटा लिया गया। आज आरएसएस देश के सबसे प्रभावशाली संगठनों में से एक है, जो समाज में एकता और सेवा का संदेश देता है।

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