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भारत-अमेरिका के बीच हुआ बड़ा रक्षा समझौता: अगले 10 साल तक चलेगा डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर करार

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भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से चली आ रही मतभेदों के बीच अब एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। दोनों देशों ने 10 साल का रक्षा ढांचा समझौता (Defense Framework Agreement) साइन किया है। यह करार भारत-अमेरिका के बीच रक्षा क्षेत्र में नई दिशा तय करेगा। अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ (Pete Hegseth) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर इस समझौते की जानकारी साझा की।

कुआलालंपुर में हुई अहम मुलाकात

यह समझौता मलेशिया के कुआलालंपुर में आयोजित ASEAN Defence Ministers’ Meeting-Plus (ADMM-Plus) के दौरान हुआ। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया और अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ से मुलाकात की। इस बैठक का विषय था “Reflecting on 15 Years of ADMM-Plus and Charting the Way Forward”, यानी आने वाले 15 वर्षों के लिए रक्षा क्षेत्र में रणनीतिक सहयोग को मजबूत करना।

अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कही यह बात

पीट हेगसेथ ने कहा, “मेरी भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से शानदार बातचीत हुई। भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग अब पहले से कहीं अधिक मजबूत है। हमने 10 साल के लिए रक्षा ढांचा समझौता किया है, जिससे हमारी साझेदारी और तकनीकी सहयोग को नई दिशा मिलेगी। यह समझौता एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा के लिए बेहद अहम कदम है।”

राजनाथ सिंह ने बताया – ‘नई साझेदारी का दशक शुरू’

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस करार पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, “हमने अमेरिका के साथ 10 साल का ‘India-US Major Defense Partnership Framework’ साइन किया है। यह समझौता हमारी रक्षा साझेदारी के नए दशक की शुरुआत करेगा। यह नीति स्तर पर हमारे सहयोग को और स्पष्ट दिशा देगा और दोनों देशों के बीच रणनीतिक तालमेल को मजबूत बनाएगा।”

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इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ेगी भारत की ताकत

राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि यह रक्षा ढांचा समझौता न केवल भारत और अमेरिका के बीच सहयोग बढ़ाएगा बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, स्थिरता और खुला व्यापारिक माहौल सुनिश्चित करेगा। रक्षा क्षेत्र दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों का मुख्य स्तंभ रहेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस करार के बाद भारत की रक्षा तकनीक, इंफ्रास्ट्रक्चर और इंटेलिजेंस शेयरिंग क्षमता में बड़ा सुधार होगा, जिससे भारत की वैश्विक स्थिति और मजबूत होगी।

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