US Fentanyl Case: Fentanyl एक शक्तिशाली सिंथेटिक ओपियोइड ड्रग है, जो दर्द कम करने के लिए इस्तेमाल होती है। लेकिन अमेरिका में इसके गैरकानूनी इस्तेमाल ने तबाही मचा दी है। यह हेरोइन से 50 गुना और मोर्फिन से 100 गुना ज्यादा खतरनाक है। विशेषज्ञ इसे एक छिपा हुआ वैश्विक खतरा मानते हैं, क्योंकि इसकी ओवरडोज से हर साल लाखों लोग मौत के मुंह में जा रहे हैं।
अमेरिका में Fentanyl का संकट
अमेरिका में 2010 से Fentanyl ओवरडोज के कारण हजारों मौतें हुई हैं। 2024 तक अनुमान है कि अमेरिका में Fentanyl से संबंधित मौतें 1 मिलियन के पार पहुंच जाएंगी। इस वजह से अमेरिकी सरकार ने इसे “सामाजिक हथियार” कहकर गंभीर चिंता जताई है।
चीन की भूमिका और आरोप
Fentanyl की कच्ची सामग्री या प्रिकर्सर केमिकल्स का बड़ा हिस्सा चीन से आता है। ये केमिकल्स मैक्सिको जैसे देशों के माध्यम से अमेरिका पहुंचते हैं, जहां कार्टेल इन्हें फाइनल ड्रग में बदलते हैं। अमेरिका ने लंबे समय से चीन पर आरोप लगाए हैं कि वह इस संकट को नजरअंदाज कर रहा है। 2019 में ट्रम्प और शी जिनपिंग के बीच समझौते के बाद चीन ने Fentanyl को कंट्रोल्ड ड्रग्स की सूची में रखा, लेकिन प्रिकर्सर केमिकल्स का अवैध प्रवाह जारी रहा।
FBI की कार्रवाई और काश पटेल की चीन यात्रा
अमेरिका ने इस मामले में सख्त कदम उठाते हुए सितंबर 2025 में 22 चीनी नागरिकों और 4 चीनी फार्मास्यूटिकल कंपनियों पर एफआईआर दर्ज की। अब FBI डायरेक्टर काश पटेल अगले महीने चीन का दौरा करेंगे, ताकि Fentanyl सप्लाई चेन को रोकने के लिए ठोस कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। यह यात्रा अमेरिका की ड्रग ट्रैफिकिंग के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग का हिस्सा है।
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भारत की भूमिका
भारत पर सीधे तौर पर Fentanyl का ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि देश में ड्रग ट्रैफिकिंग मुख्य रूप से अफगानिस्तान से आने वाले अफीम आधारित ड्रग्स तक सीमित है। फिर भी, 2022 के US-China कूटनीतिक विवाद के बाद भारत ने Fentanyl के खिलाफ सहयोग में अहम भूमिका निभाई है। इससे वैश्विक ड्रग ट्रैफिकिंग को रोकने में मदद मिली है।





