शूट आउट एट ‘चिचोली’
बड़ा सवाल: पुलिस क्यों नहीं पूछ रही कि गोली अवैध पिस्टल से चली या लाइसेंसी ?
खबरवाणी न्यूज, बैतूल
चिचोली में हुई गोली चलने की घटना को जिस तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि सुरक्षा व्यवस्था और कायदे कानून को पूरी तरह से ताक पर रख दिया गया है, वहीं जिस भी जिम्मेदार अधिकारी से इस संबंध में बात की जाती है वह इतने भोले और अनजान अंदाज में जवाब देता है जैसे उससे सीधा और अनजान अफसर दुनिया में कोई दूसरा नहीं है, हां यदि उस गोली लगने से जिस तरह से युवक के सिर से ब्लड निकल रहा था यदि वह ज्यादा मात्रा में निकल जाता तो किसी भी तरह की अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता था। अब सवाल यह उठता है कि क्या इस घटना के बाद सरकारी डॉक्टर को इस बात की जानकारी पुलिस को नहंी देनी थी या जब पूरे नगर में इस बात की चर्चा है तो पुलिस को क्या स्वत: संज्ञान लेने की जरूरत नहीं थी, जो भी लेकिन यह घटना कई तरह के सवाल खड़े कर रही है। जो सरकारी तंत्र के खिलाफ उठ रहे हैं। ज्ञात हो कि पिछले वर्ष इसी तरह गोली चलने की घटना में एक डीजे संचालक की मौत हो गई थी और कुछ माह पूर्व भी चिचोली नगर में फायरिंग की घटना में एक व्यक्ति मौत को मात देकर बच गया।
चिचोली बीएमओ डॉ. अतुलकर के अनुसार जब घायल व्यक्ति सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा तब वह बुरी तरह घायल था और उसके सिर से खून की धार बह रही थी और उसके साथ जो साथी आए थे उन्होंने बताया कि मोटरसाइकिल से गिरने पर लोहे की छड़ से चोट लगी है, जिससे खून बह रहा है और ज्यादा जानकारी मैं नहीं दे सकता क्योंकि ड्यूटी पर डॉ. राहुल देशमुख थे, लेकिन खबरवाणी की पड़ताल से यह पता चला कि ड्यूटी पर डॉ. दिपांशु दुबे थे। उनसे जब चर्चा हुई तो उन्होंने बताया कि 7 तारीख की रात ढाई बजे 3 व्यक्ति सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, जिसमें से एक व्यक्ति बुरी तरह घायल था और उसके सिर से बहुत खून बह चुका था, मेरे द्वारा उसे तत्काल उपचार दिया गया और उसके साथी भी इतनी जल्दी में थे कि उन्होंने मुझे टांके लगाने की अनुमति और समय नहीं दिया। मैंने उनसे बार-बार कहा कि सिर से बहुत खून बह चुका है इसे बैतूल ुमुख्य चिकित्सालय ले जाना होगा और साथ में ड्रिप भी लगानी होगी ताकि बैतूल पहुंचने तक घायल को होश में रखा जा सके और मैंने उसे बैतूल जिला चिकित्सालय रैफर किया था। घायल समेत अन्य दोनों व्यक्ति भी बेहद नशे में थे और कोई बात मानने के लिए तैयार ही नहीं थे और चूंकि इतनी रात का समय था और मैं पूरे दिन से ड्यूटी पर था, स्टॉफ की भी कमी थी। मुझे सुबह पता चला कि गोली चलने से कोई घटना हुई है और यह भी पता चला कि घायल को बैतूल जिला चिकित्सालय नहीं ले जाकर भोपाल के किसी प्राइवेट अस्पताल में ले जाया गया जहां उसका इलाज चल रहा है। इस संदर्भ में जब थाना प्रभारी हरिओम पटेल से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि किसी भी पक्ष द्वारा शिकायत दर्ज नहीं की गई है, इसलिए इस मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया गया। जिस व्यक्ति को गोली लगी और जिससे गोली चली वे सब आपस में मित्र बताए जाते हैं, इसलिए किसी भी पक्ष द्वारा किसी प्रकार की पुलिस रिपोर्ट या कार्रवाई नहीं की गई। शाहपुर एसडीओपी मयंक तिवारी ने खबरवाणी से चर्चा में बताया कि उन्हें इस घटना की जानकारी है, पर जिस तरह से घायल को चोट लगी थी यदि फायर हुआ होता तो बुलट के कार्बन प्रिंट सिर पर जहां चोट लगी थी वहां दिखाई पड़ते जो कि इस मामले में डॉक्टर के अनुसार नहीं दिखाई पड़े। मैं फिर भी इस मामले को कल दिखवाता हूं। बीएमओ डॉ. अतुलकर से जब पुछा गया कि आपको अगले दिन पता चला कि घटनाक्रम में गोली चली थी तब आपने पुलिस से संपर्क क्यों नहीं किया तो इस पर उन्होंने कहा कि मैं ड्यूटी पर नहीं था अन्य डॉक्टर से पूछकर बताता हूं जिसे वे खबर लिखे जाने तक नहीं बता पाएं हैं। चूंकि डॉ. अतुलकर ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर हैं, इसलिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में होने वाली किसी भी घटना या दुर्घटना की जानकारी पुलिस को देने की जिम्मेदारी सीधे तौर पर उनकी बनती है जिससे वे बचने का प्रयास कर रहे हैं। देखना है कि यदि पुलिस जांच करती है तो और कौन से तथ्य निकलकर सामने आते हैं।

