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Russian Oil Payment in Chinese Yuan: अब रूस चाहता है भारत से चीनी करेंसी में भुगतान, जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी

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Russian Oil Payment in Chinese Yuan: भारत और रूस के बीच तेल व्यापार में अब एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। रूसी ऑयल ट्रेडर्स ने भारतीय रिफाइनरियों से कहा है कि वे अब अमेरिकी डॉलर या यूएई दिरहम के बजाय चीनी युआन (Chinese Yuan) में भुगतान करें। पहले जहां भारत रूस से तेल की खरीद के लिए डॉलर और दिरहम का इस्तेमाल करता था, अब इस नए प्रस्ताव ने सबका ध्यान खींचा है।

रूस ने क्यों की युआन में भुगतान की मांग

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत और चीन के बीच हाल ही में राजनयिक संबंधों में सुधार के चलते यह कदम उठाया गया है। इस कदम का उद्देश्य है कि तेल सौदों को आसान और कम खर्चीला बनाया जा सके। दरअसल, भारतीय ऑयल कंपनियां अब तक रूस को डॉलर या दिरहम में भुगतान करती थीं, लेकिन रूसी बैंकों को इस पैसे को युआन में बदलना पड़ता था, क्योंकि रूबल और युआन के बीच सीधा कन्वर्ज़न संभव है। अब सीधे युआन में भुगतान करने से यह अतिरिक्त खर्च और समय दोनों बचेंगे।

भारतीय कंपनियों ने की युआन में पेमेंट की शुरुआत

रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने हाल ही में दो से तीन तेल खेपों का भुगतान युआन में किया है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के चलते कई देशों ने अमेरिकी डॉलर के बजाय अन्य करेंसी जैसे युआन और दिरहम का इस्तेमाल शुरू किया था। पहले 2023 में कुछ भारतीय सरकारी रिफाइनरियों ने भी युआन में भुगतान करने की कोशिश की थी, लेकिन भारत-चीन संबंधों में तनाव के कारण यह रुक गया था। अब दोबारा यह व्यवस्था सक्रिय होती दिख रही है।

व्यापार को आसान बनाएगा यह फैसला

रूसी तेल कंपनियों का कहना है कि दिरहम या डॉलर में मिलने वाले भुगतान को पहले युआन में बदलना पड़ता है, जिससे एक अतिरिक्त चरण और लागत बढ़ जाती है। युआन में सीधा भुगतान करने से यह पूरी प्रक्रिया सरल और सस्ती हो जाएगी। यानी अब व्यापार “घूमकर नहीं, सीधे रास्ते से” किया जाएगा।

भारत बना रूस से तेल खरीदने वाला सबसे बड़ा देश

पश्चिमी देशों द्वारा रूस से तेल खरीद पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारत ने रियायती दरों पर रूसी तेल की खरीद बढ़ा दी, जिससे वह रूस का सबसे बड़ा आयातक देश बन गया है। कई रूसी कंपनियां अब केवल युआन में भुगतान स्वीकार करती हैं। ऐसे में अगर भारत युआन में भुगतान करता है, तो उसे तेल और भी सस्ते और आसान तरीके से मिल सकेगा।

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भारत-चीन रिश्तों में सुधार के संकेत

यह कदम न केवल व्यापारिक रूप से बल्कि राजनयिक रूप से भी अहम माना जा रहा है। हाल ही में भारत और चीन के बीच पांच साल बाद सीधी उड़ानें शुरू हुईं, और पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात साल बाद चीन में हुए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में शामिल हुए। ऐसे में यह कदम भारत-चीन संबंधों को नई दिशा दे सकता है।

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