इंदौर (मध्य प्रदेश): इंदौर के सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र में स्थित एक निजी फार्मास्युटिकल यूनिट पर बड़ी कार्रवाई की गई है। केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त टीम द्वारा निरीक्षण में 216 गंभीर कमियां मिलने के बाद कंपनी का उत्पादन अस्थायी रूप से रोक दिया गया है।
केंद्र और राज्य की संयुक्त जांच में खुलासा
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. मधव प्रसाद हसानी ने बुधवार को जानकारी देते हुए बताया कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) और राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) की टीम ने सितंबर के आखिरी सप्ताह में कंपनी का निरीक्षण किया था। इस जांच के दौरान दवा निर्माण प्रक्रिया से जुड़ी कई गंभीर खामियां सामने आईं।
दवा निर्माण में गंभीर लापरवाही
डॉ. हसानी ने बताया कि जांच में कुल 216 कमियां पाई गईं, जो औषधि गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का सीधा उल्लंघन करती हैं। अधिकारियों के अनुसार, इन गंभीर खामियों के चलते फार्मा यूनिट का उत्पादन तत्काल प्रभाव से बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं। साथ ही कंपनी को शोकॉज नोटिस (कारण बताओ नोटिस) भी जारी किया गया है, ताकि वह इन कमियों पर अपना स्पष्टीकरण दे सके।
आदेश तक बंद रहेगा उत्पादन
प्रशासन ने साफ किया है कि जब तक कंपनी निरीक्षण टीम की सभी आपत्तियों का समाधान नहीं करती और मानक पूरे नहीं होते, तब तक उत्पादन दोबारा शुरू करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस कार्रवाई को प्रदेश में दवा गुणवत्ता पर बढ़ते सरकारी सख्ती अभियान का हिस्सा बताया जा रहा है।
खांसी की सिरप से बच्चों की मौत के बाद बढ़ी कार्रवाई
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में पिछले महीने कोल्ड्रिफ खांसी की सिरप पीने से 14 बच्चों की मौत के बाद सरकार ने प्रदेशभर में फार्मा यूनिट्स पर निगरानी तेज कर दी है। इन बच्चों की मौत किडनी फेलियर के कारण हुई थी। इसके बाद राज्य सरकार ने तीन अधिकारियों को निलंबित और ड्रग कंट्रोलर को ट्रांसफर कर दिया है।
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सरकार ने कहा – बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि
स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि बच्चों की जान से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दवा कंपनियों पर निगरानी बढ़ाई जा रही है, और जहां भी मानकों का उल्लंघन मिलेगा, वहां सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारियों का कहना है कि दवा उद्योग में पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है