केंद्रीय मंत्री के जिले में ‘ट्रेनों के स्टॉपेज का टोटा’
बैतूल, आमला, मुलताई, घोड़ाडोंगरी, बरबटपुर, ढोढरामोहार में सालों से की जा रही ट्रेनों के स्टापेज की मांग…
बैतूल जिले में ट्रेनों के स्टॉपेज के लिए लगातार मांग होती रही है, धरना-प्रदर्शन, ज्ञापन सहित आंदोलन हुए लेकिन यात्रियों को ट्रेनों के स्टॉपेज की सुविधा नहीं मिली है, अब बैतूल जिले से ही सत्ता पक्ष में केंद्रीय मंत्री से लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष तक बैठे हैं, ऐसे में जनता की आशा और बढ़ गई कि जिले को ट्रेनों के स्टॉपेज मिलेंगे….
खबरवाणी न्यूज, बैतूल
नागपुर रेल मंडल के बैतूल जिले में पढऩे वाले तमाम रेलवे स्टेशनों पर ट्रेनों की स्टापेज का इतिहास दो दशक पुराना है लगभग 18 से 20 सालों से यात्री ट्रेनों की मांग को लेकर विभिन्न संगठन ज्ञापन, धरना-प्रदर्शन, आंदोलन तक कर चुके हैं, लेकिन किसी रेलवे स्टेशन को ट्रेन मिली तो कोई अब भी स्टापेज के लिए तरस रहा है, जिसमें प्रमुख रूप से बैतूल, मुलताई, आमला, बरबटपुर, ढोढरामोहार जैसे रेलवे स्टेशन शामिल हैं जहां से हजारों की संख्या में यात्री राजधानी भोपाल और नागपुर का सफर करते हैं, इनमें सबसे ज्यादा संख्या अपडाउन, नौकरीपेशा और छात्रों की है। पढ़ाई और रोजगार के लिए लोगों का बैतूल और बैतूल जिले के विभिन्न रेलवे स्टेशनो से आना-जाना है, लेकिन ट्रेनों के स्टापेज नहीं होने के कारण इन्हें या तो बसों का सहारा लेना पड़ता है या फिर निजी वाहनों से अपना सफर तय करने को मजबूर होना पड़ता है।
17 साल से आंदोलन फिर भी ट्रेनों से वंचित है मुलताई
मुलताई। पवित्र नगरी मुलताई जो कि सृष्टि की प्रथम नदी का उदगम स्थल है जहां हर साल लाखो की संख्या में श्रद्वालु दर्शन करने पहुचतें है जिनके आवागमन के लिए ट्रेनो की उचित व्यवस्था नही होने के कारण पिछले 2 दशको से लगातार मुलताई रेल्वे स्टेशन पर ट्रेनो के स्टापेज की मांग उठती रही है। लेकिन तीन दशकों से भाजपा के सांसद होने के बाद भी उनके द्वारा मुलताई के ओर ध्यान नही दिया गया है। वही तीर्थ स्थल होने के बाद भी समुचित सुविधाओं से वंचित हो रहा है। मुलताई में जनआंदोलन मंच के नेतत्व में 40 से अधिक संगठनों द्वारा 2 दशकों से ट्रेन स्टापेज की मांग उठाई जा रही है। नगर में चिकित्सा सेवा अच्छी नही है वही नजदीक ही नागपुर शहर में चिकित्सा की उचित व्यवस्था लोगों को प्राप्त हो जाती है लेकिन नगर से मरीजों को लाने ले जाने के लिए सुबह 6 बजे के बाद दोपहर 3 बजे के मध्य कोई साधन नही है । जिसके कारण कई मरीज नागपुर ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ देते है। वहीं नगर में अपर सेशन जज की दो अदालते है,वहीं जबलपुर में हाईकोर्ट है,सेशन कोर्ट की अपील हाईकोर्ट में होने के कारण तथा कोर्ट के अन्य कार्यों से जबलपुर जाना पड़ता है, लेकिन जबलपुर जाने आने के लिए भी नगर से कोई ट्रेन नहीं है।
पूर्व के लोकसभा चुनाव के पूर्व मुलताई में बस स्टेड पर सर्वदलीय आंदोलन किया गया था, जिसमें वर्तमान सांसद दुर्गादास उइके द्वारा आंदोलन स्थल पर पहुच कर आश्वासन देते हुए आंदोलन स्थगित करवाया गया था। लेकिन आश्वासन के इतने दिन बाद भी आज तक कोई नई ट्रेन का स्टापेज प्राप्त नही हुआ है। शुक्रवार जनआंदोलन मंच के अनिल सोनी द्वारा मुलताई रेल्वे अधीक्षक हिमांशु कुमार को रेलमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपकर अमरावती नागपुर जबलपूर, नागपुर इन्दौर वंदे भारत, संघमित्रा एक्सप्रेस, जोधपूर पुरी एक्सप्रेस का स्टापेज की मांग की गई है मांग नही होने की स्थिति में सांसद का मुहं काला करने की एवं आंदोलन करने की चेतावनी भी दी गई है।
आमला-बैतूल को चाहिए दादाधाम
बैतूल और आमला रेलवे स्टेशन को दादाधाम एक्सप्रेस की बेहद आवश्यकता है। क्योंकि इससे यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या ज्यादा है। लेकिन वर्षों की मांग के बावजूद यह अब तक एक सपना ही है। इसके अलावा आमला में समता एक्सप्रेस, इंटरसिटी एक्सप्रेस भोपाल के लिए बेहद जरूरी है। जिससे छात्र-छात्राएं, अपडाउनर, व्यापारी आना-जाना कर सकें, लेकिन लगातार आंदोलनों के बाद भी यह संभव नहीं हो सका है। वरिष्ठ नेता रमेश भाटिया बताते हैं कि पूर्व में भी कई बार रेलमंत्री तक से मिलकर ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन उन ट्रेनों के स्टॉपेज बैतूल जिले को नहीं मिले हैं जिनकी बेहद ज्यादा आवश्यकता है। आमला में भी रेलवे संघर्ष समिति, जनकल्याण समिति, व्यापारी संघ, अधिवक्ता संघ ने कई बार मांग उठाई लेकिन अब तक ये अधूरी ही है।
भौंरा के ढोडरामोहार रेलवे स्टेशन पर पेंचवेली फास्ट पैसेंजर की जरूरत
बैतूल से इटारसी के बीच पडऩे वाले प्रमुख रेलवे स्टेशन ढोडरामाहर जिसके नगरीय क्षेत्र को भौंरा भी कहा जाता है यहां के निवासियों के लिए पेंचवेली एक्सप्रेस इंदौर जाने का एकमात्र सहारा थी, ज्ञात हो कि भौंरा क्षेत्र के सैकड़ों युवक इंदौर के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में काम करते हैं और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं भोपाल और इंदौर के विभिन्न संस्थानों में अध्ययनरत हैं, वहीं व्यापारी भी इंदौर, भोपाल से नियमित व्यापार करते हैं। यहां लोगों की मांग है कि कोविड काल में बंद हुई पेंचवेली चालू की जाए।
जनपद से लेकर जिला और प्रदेश से केंद्र तक सत्तापक्ष इसलिए आस ज्यादा
ट्रेनों के स्टापेज की आस इसलिए भी अब ज्यादा बलवती हो गई है, क्योंकि जनपद पंचायत से लेकर जिला पंचायत और विधानसभा से लेकर लोकसभा और केंद्र तक अब बैतूल जिले का प्रतिनिधित्व है, जिसके कारण यात्री सुविधा के लिए जिलेवासी चाहते हैं कि सालों से लंबित ट्रेन स्टापेज की मांग पूरी हो सके। अब केंद्र में बैतूल सांसद केंद्रीय मंत्री के रूप में बैतूल जिले का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं तो वहीं प्रदेश स्तर पर हेमंत खंडेलवाल भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष हैं। इसके अलावा जिले के सभी विधानसभा में भाजपा के विधायक काबिज हैं तो वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष, जनपद अध्यक्ष तक सत्तापक्ष का अच्छा खासा प्रतिनिधित्व है। जिसके कारण समय-समय पर विभिन्न संगठन और ट्रेन स्टॉपेज के लिए बनी संघर्ष समितियां आंदोलन और ज्ञापन के माध्यम से ट्रेनों के स्टापेज की मांग की मांग कर रही है, लेकिन अब तक स्टापेज केवल लोगों की आशा तक ही सीमित हैं, लोगों को कब तक स्टॉपेज की सौगात मिलेगी ये आने वाला वक्त और सत्ता पक्ष के प्रयास कब रंग लाएंगे देखने वाली बात होगी।