राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी समारोह में सरसंघचालक मोहन भागवत ने पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि आतंकियों ने 26 निर्दोष भारतीयों की हत्या कर दी। इस हमले ने पूरे देश को हिला दिया था, लेकिन हमारी सेना और सरकार ने पूरी तैयारी के साथ दुश्मनों को करारा जवाब दिया। भागवत ने कहा कि आज दुनिया भारत से उम्मीद लगाए बैठी है और हमें आत्मनिर्भर बनकर ही भविष्य की राह तय करनी होगी।
आतंकवाद पर भागवत का कड़ा रुख
मोहन भागवत ने कहा कि सीमा पार से आए आतंकियों ने लोगों से धर्म पूछकर 26 निर्दोषों की हत्या कर दी। इस घटना से पूरा देश शोक और गुस्से में था। लेकिन सरकार की नीतियों, सेना की बहादुरी और समाज की एकजुटता ने माहौल बदल दिया। इस हमले के बाद कई देशों के रुख ने हमें हमारे असली मित्रों की पहचान कराई।
टैरिफ नीति और आत्मनिर्भर भारत
अमेरिका की नई टैरिफ पॉलिसी पर चिंता जताते हुए मोहन भागवत ने कहा कि यह नीति उनके हित में बनाई गई है, लेकिन इसका असर पूरे विश्व पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि कोई भी देश अकेला नहीं रह सकता, लेकिन यह निर्भरता मजबूरी नहीं बननी चाहिए। भारत को आत्मनिर्भर बनना होगा और अपने संसाधनों पर भरोसा करना होगा।
हिमालय का बिगड़ता हाल और पर्यावरण संकट
भागवत ने हिमालय क्षेत्र की स्थिति पर भी गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि पिछले 3-4 साल से लगातार बारिश, भूस्खलन और प्राकृतिक आपदाएँ बढ़ रही हैं। हिमालय हमारी सुरक्षा दीवार और जल का स्रोत है, लेकिन गलत विकास मॉडल के कारण यह संकट गहराता जा रहा है। अब समय है कि विकास के तरीकों पर पुनर्विचार किया जाए।
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महापुरुषों का स्मरण और राष्ट्रवाद की परिभाषा
RSS प्रमुख ने कहा कि इस साल गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं जयंती है, जिनका बलिदान समाज की आज़ादी और न्याय के लिए था। उन्होंने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर भी श्रद्धांजलि दी। भागवत ने कहा कि हमारी संस्कृति ही हमारा राष्ट्र है, और यही हिंदू राष्ट्रवाद है। हिंदू, भारतीय और आर्य एक ही अर्थ रखते हैं। एक मजबूत और एकजुट समाज ही देश की सुरक्षा और अखंडता की गारंटी है।