अयोध्या में इस बार दशहरे पर रावण दहन नहीं हो पाएगा। पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए 240 फीट ऊंचे रावण और 190 फीट ऊंचे मेघनाद व कुंभकर्ण की प्रतिमाओं के दहन पर रोक लगा दी है। इससे स्थानीय लोगों और आयोजकों में निराशा फैल गई है।
एक महीने से चल रहा था प्रतिमाओं का निर्माण
अयोध्या फिल्म आर्टिस्ट रामलीला समिति की ओर से इस वर्ष रामकथा पार्क में सबसे ऊंची प्रतिमाओं के दहन की तैयारी की जा रही थी। पिछले एक महीने से कारीगर दिन-रात मेहनत कर रहे थे। मध्य प्रदेश, राजस्थान समेत कई राज्यों से आए कारीगरों ने इन विशालकाय प्रतिमाओं का निर्माण किया था। लेकिन दशहरे से महज तीन दिन पहले पुलिस ने बैन लगाकर सबको चौंका दिया।
पुलिस ने सुरक्षा का दिया हवाला
अयोध्या पुलिस सर्किल ऑफिसर देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि समिति ने इस आयोजन के लिए प्रशासन से औपचारिक अनुमति नहीं ली थी। गश्त के दौरान जब पुलिस ने प्रतिमाओं का निर्माण देखा तो कार्रवाई करते हुए इस पर रोक लगा दी गई। पुलिस का कहना है कि इतनी ऊंची प्रतिमाओं के दहन से सुरक्षा खतरा हो सकता है, इसलिए अनुमति देना संभव नहीं है।
‘तैयार रावण न जलाना होता है अशुभ’
फिल्म आर्टिस्ट रामलीला समिति के संस्थापक अध्यक्ष सुभाष मलिक ने कहा कि कारीगरों की मेहनत और लाखों रुपये खर्च होने के बाद इस तरह का बैन बेहद निराशाजनक है। उन्होंने कहा कि परंपरा के अनुसार, तैयार रावण का दहन न करना अशुभ माना जाता है। अब ये विशालकाय प्रतिमाएं बेकार चली जाएंगी।
पीएम मोदी और सीएम योगी से लगाई गुहार
सुभाष मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि अयोध्या में कहीं भी इन प्रतिमाओं के दहन की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा कि वे छोटे स्तर के भाजपा कार्यकर्ता हैं और पिछले सात सालों से भव्य रामलीला का आयोजन करते आ रहे हैं। इस बार भी उनकी मंशा अयोध्या को अनोखी झांकी देने की थी, लेकिन बैन ने सारी तैयारियों पर पानी फेर दिया।
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लोगों में निराशा, दशहरा अधूरा
रावण दहन अयोध्या की संस्कृति और परंपरा का अहम हिस्सा है। ऐसे में प्रतिमाओं के दहन पर रोक से स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं में निराशा है। लोग मानते हैं कि इस निर्णय से दशहरे का उत्सव अधूरा रह जाएगा। अब देखना यह है कि सरकार इस पर कोई समाधान निकालती है या फिर इस बार अयोध्या बिना रावण दहन के ही दशहरे का त्योहार मनाएगी।