World Ayurveda Day 2025:भारत में आयुर्वेद की परंपरा सदियों पुरानी है। जब आधुनिक डॉक्टर और दवाइयाँ उपलब्ध नहीं थीं, तब वैद्य, हकीम और साधु-संत ही लोगों का इलाज करते थे। जड़ी-बूटियों और घरेलू नुस्खों से ही बीमारियों को दूर किया जाता था। इसी धरोहर को सम्मान देने के लिए हर साल 23 सितम्बर को विश्व आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है। इस बार इसका थीम है – “लोगों और धरती के लिए आयुर्वेद”।
आयुर्वेद का महत्व
आयुर्वेद को जीवन जीने की एक पद्धति माना गया है। इसमें न केवल रोगों का इलाज होता है, बल्कि मन, शरीर और आत्मा का संतुलन भी साधा जाता है। यही कारण है कि आज भी लोग घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे अपनाकर स्वस्थ रहते हैं।
नाभि में तेल लगाने का फायदा
आयुर्वेद में नाभि को शरीर का केंद्र माना गया है। नाभि में नारियल तेल, अरंडी का तेल, नीम का तेल या बादाम का तेल लगाने से कई तरह की परेशानियाँ दूर होती हैं। इससे पाचन शक्ति मजबूत होती है, चेहरे पर ग्लो आता है, बाल झड़ना कम होता है और दर्द से भी राहत मिलती है।
घरेलू आयुर्वेदिक उपाय
- सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीने से शरीर डिटॉक्स होता है।
- हल्दी वाला दूध इम्यूनिटी बढ़ाता है।
- तुलसी के पत्ते और अदरक का काढ़ा सर्दी-जुकाम में कारगर है।
- आंवला खाने से आँखों और बालों दोनों को फायदा होता है।
ये आसान उपाय बिना साइड इफेक्ट के शरीर को अंदर से मजबूत बनाते हैं।
आयुर्वेद और आधुनिक जीवन
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अक्सर बीमारियों से घिर जाते हैं। ऐसे समय में आयुर्वेदिक उपचार और योगासन शरीर को स्वस्थ बनाए रखते हैं। प्राकृतिक इलाज से लंबे समय तक फायदा मिलता है और दवाइयों पर निर्भरता भी कम होती है।
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धरती और इंसान दोनों के लिए लाभकारी
आयुर्वेद न केवल इंसान को स्वस्थ रखता है, बल्कि धरती को भी सुरक्षित करता है। इसमें इस्तेमाल होने वाली जड़ी-बूटियाँ और प्राकृतिक संसाधन पर्यावरण के अनुकूल हैं। यही वजह है कि इस बार के विश्व आयुर्वेद दिवस का संदेश है – “आयुर्वेद अपनाओ, स्वास्थ्य और पर्यावरण बचाओ।”