नई दिल्ली/पटना। बिहार में विपक्ष की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ आज अंतिम चरण में पहुंच गई। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव की 16 दिनों से जारी इस यात्रा में अब समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव भी शामिल हो गए हैं। इससे पहले प्रियंका गांधी और एमके स्टालिन भी इस यात्रा का हिस्सा बन चुके हैं।
‘वोट चोरी’ बनाम ‘घुसपैठियों को बचाना’
यात्रा के दौरान राहुल गांधी लगातार ‘वोट चोरी’ का आरोप भाजपा और चुनाव आयोग पर लगाते रहे हैं। वहीं भाजपा का कहना है कि विपक्ष यह यात्रा घुसपैठियों को बचाने के लिए कर रहा है।
रणनीति क्या है?
आरा में अखिलेश यादव की एंट्री को विपक्षी गठबंधन की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। भोजपुर, सारण और सिवान का इलाका उत्तर प्रदेश से सटा है और यहां सपा का असर माना जाता है। लोकसभा चुनावों में बलिया और सलेमपुर जैसी सीटों पर सपा को ब्राह्मण वोटों का भी साथ मिला था। विपक्ष की कोशिश है कि एमवाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण को पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) और सवर्ण वोटरों के साथ जोड़कर भाजपा को चुनौती दी जाए।
प्रियंका और महिला वोट बैंक
प्रियंका गांधी को मिथिलांचल में यात्रा से जोड़ने के पीछे विपक्ष की मंशा नीतीश कुमार के महिला वोट बैंक में सेंधमारी बताई जा रही है। इसी तरह, अखिलेश को ऐसे इलाकों में उतारा गया है जहां यूपी की सीमावर्ती राजनीति असर डाल सकती है।
यात्रा में विवाद भी
दरभंगा में यात्रा के दौरान कांग्रेस मंच से पीएम मोदी की दिवंगत मां को लेकर अपशब्द कहे गए, जिसके बाद विवाद गहराया।
वीडियो वायरल होने के बाद भाजपा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में झड़प भी हुई।
पुलिस ने आरोपी रिजवी उर्फ राजा को गिरफ्तार कर लिया है और आयोजक नौशाद ने माफी मांगी है।
हालांकि, भाजपा की मांग है कि राहुल गांधी इसके लिए सार्वजनिक माफी मांगें।
आगे और गरमी बढ़ेगी
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस विवाद के बाद बिहार में चुनावी माहौल और गरमाने वाला है। विपक्ष जहां यात्रा को वोटर अधिकारों की लड़ाई बता रहा है, वहीं भाजपा इसे “घुसपैठियों को बचाने की साजिश” करार दे रही है।