भोपाल। व्यापमं फर्जीवाड़ा मामले में FIR होने के 10 साल बाद करीब 122 लोगों पर आरोप तय किए जाएंगे।उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को इस मामले में जांच के आदेश दिए थे। कोर्ट के इस आदेश के बाद केस को एसआईटी से सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था। अब CBI कोर्ट में आरोपियों का ट्रायल किया जाएगा।
10 साल पहले केस दर्ज किया था
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जुलाई 2015 में सीबीआई ने केस दर्ज किया था। CBI ने 5 दिसंबर 2020 को चार्जशीट पेश की थी। इसी साल 26 जुलाई को मामला ट्रायल के लिए सीबीआई की विशेष अदालत में पहुंचा। अब फर्जीवाड़ा मामले में आरोपियों पर चार्ज लगाए जाएंगे।
9 डॉक्टर्स पर भी तय होंगे आरोप
इस मामले में कई चर्चित नाम शामिल हैं, जिनमें कांग्रेस विधायक फुंदेलाल मार्को के बेटे अमितेष कुमार, निगम अधिकारी डॉक्टर अतिबल सिंह यादव के बेटे अरुण यादव, डॉ स्वाति सिंह (लखनऊ) का नाम शामिल है। ये एफआईआर ग्वालियर के झांसी रोड स्थित पुलिस थाने में साल 2013 में करवाई गई थी। इस केस जुड़े वकील अभिषेक पाराशर का कहना है कि स्वाति सिंह ने मोनिका यादव के स्थान पर प्री-मेडिकल टेस्ट की परीक्षा दी थी।
8 लोगों की हुई थी मौत
प्रदेश में सरकारी परिक्षाओं को आयोजित कराने के लिए मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल है। इसे पहले व्यावसायिक परीक्षा मंडल के नाम से जाना जाता था। मेडिकल कॉलेज के लिए प्रवेश परीक्षा यानी एमपी पीएमटी भी व्यापमं ही करवाती थी। इस परीक्षा में बड़े स्तर पर धांधली उस वक्त सामने आई, जब ग्वालियर के झांसी रोड स्थित पुलिस थाने में इस बारे में रिपोर्ट दर्ज करवाई गई। साल-दर-साल परत खुलती गई तो खुलासा हुआ कि ये धांधली बड़े स्तर पर की जा रही थी। मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए परीक्षार्थियों के स्थान पर डमी कैंडिडेट्स एग्जाम देते थे और उनसे मोटी रकम वसूली जाती थी।