जबलपुर : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने संस्कृत के दो हजार से ज्यादा छात्रों के लिए राहतकारी आदेश जारी किया है. दरअसल, हाईकोर्ट ने पूर्व आदेश की अवहेलना के मामले में महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान भोपाल के संचालक व असिस्टेंट डायरेक्टर को तलब किया था. संस्थान पर आरोप था कि कोर्ट के निर्देश के बावजूद संस्कृत के छात्रों को परीक्षा में शामिल नहीं किया था. अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने छात्रों के हित में फैसला सुनाया.
क्या है पूरा मामला?
अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान पतंजलि संस्कृत संस्थान भोपाल के संचालक व असिस्टेंट डायरेक्टर कोर्ट में उपस्थित हुए. संचालक व असिस्टेंट डायरेक्टर ने कोर्ट में अभिवचन दिया कि संस्कृत विद्यालयों के जो विद्यार्थी परीक्षा में शामिल होने से वंचित हुए हैं, उनके लिए विशेष परीक्षा आयोजित की जाएगी. ऐसे छात्रों की संख्या दो हजार से अधिक है. छात्रों को परीक्षा के लिए आवेदन करने पोर्टल खोला जाएगा और पोर्टल के माध्यम से आवेदन करने के लिए उन्हें 7 दिन का समय प्रदान किया जाएगा.
जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने दोनों अधिकारियों के अधिकारियों के बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए 45 दिन के भीतर प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं.
छात्रों को शामिल करने से किया था इनकार
दरअसल, पुष्पांजली संस्कृत विद्यालय सिंगरौली व अन्य की ओर से ये अवमानना याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान भोपाल ने पूर्व में एक आदेश जारी कर यह शर्त रखी थी कि उनके संस्थान से संबंधित जिन विद्यालयों के छात्रों ने माशिमं या सीबीएससी से नौवीं या ग्यारहवीं परीक्षा उत्तीर्ण की है, उन्हें दसवीं और बारहवीं में परीक्षा में शामिल नहीं किया जाएगा.
इस आदेश के खिलाफ पूर्व में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट ने 28 अप्रैल 2025 को संस्थान के आदेश को स्थगित कर दिया था. इसके बावजूद संस्थान ने याचिकाकर्ता विद्यालयों के करीब 22 सौ विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल नहीं किया, जिसके कारण उक्त अवमानना याचिका दायर की गई थी.
क्यों नहीं किया निर्देशों का पालन?
अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए विगत 14 अगस्त को हाईकोर्ट ने अधिकारियों को नोटिस जारी कर पूछा था कि नियम स्थगित करने के बावजूद याचिकाकर्ता संस्कृत विद्यालयों के विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल क्यों नहीं किया गया? पिछली सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान भोपाल के दोनों अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से तलब किया था. याचिकाकर्ता विद्यालयों की ओर से अधिवक्ता एनएस रूपराह व मुस्कान आनंद ने पक्ष रखा.