सनातन धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है. कहते हैं कि पूजा-पाठ करने से मन शांत रहता है और नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव मानव जीवन पर नहीं पड़ता है. इसके साथ ही जीवन में देवी-देवताओं की कृपा से सुख-समृद्धि की भी वृद्धि होती है. वहीं पूजा-पाठ के समय कई ऐसी परंपराएँ निभाई जाती हैं जो सदियों से चली आ रही हैं, जैसे घंटी या शंख बजाना, तिलक लगाना आदि. सनातन धर्म में तिलक धारण करना बेहद महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है.
चाहे वह किसी भी संप्रदाय के लोग हों, तिलक अवश्य धारण करना चाहिए. लेकिन आपके मन में भी एक न एक बार यह सवाल जरूर आया होगा कि आखिर पूजा-पाठ से पहले तिलक क्यों धारण किया जाता है. इस सवाल का जवाब जानते हैं बैद्यनाथ मंदिर के तीर्थपुरोहित प्रमोद श्रृंगारी जी से.
क्या कहते हैं बैद्यनाथ मंदिर के तीर्थपुरोहित
बैद्यनाथ मंदिर के प्रसिद्ध तीर्थपुरोहित प्रमोद श्रृंगारी ने लोकल18 के संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि घर या मंदिर में कहीं भी पूजा-पाठ से पहले माथे पर तिलक जरूर लगाना चाहिए. यह हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है. बिना तिलक लगाए कोई भी पूजा-पाठ या धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण नहीं होता है. अगर भक्त रोज पूजा-पाठ कर अपने मस्तिष्क पर तिलक लगाए तो उसका मन बेहद सकारात्मक रहता है और ध्यान भगवान की भक्ति में लीन रहता है.
आखिर क्यों लगाना चाहिए माथे पर तिलक
तीर्थपुरोहित बताते हैं कि धार्मिक शास्त्रों के अनुसार चंदन, कुमकुम, रोली, भस्म या कोई भी वह चीज जो भगवान पर अर्पित की जाती है, अगर आप उसका तिलक अपने माथे पर लगाते हैं तो बड़े से बड़े उग्र ग्रह भी शांत हो जाते हैं और उनके नकारात्मक प्रभाव दूर हो जाते हैं. मन बेहद शांत और सात्विक रहता है. किसी भी प्रकार के गलत विचार मन में नहीं आते हैं.
मन शांत रखकर ही भगवान की भक्ति करनी चाहिए. इससे स्वास्थ्य को भी लाभ मिलता है. मस्तिष्क की तंत्रिकाएं शांत अवस्था में रहती हैं और सिर दर्द जैसी समस्याएं भी समाप्त हो जाती हैं.