भारत की विदेश नीति में 'न सिद्धांत, न लक्ष्य : अय्यर का हमला
नई दिल्ली।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के एक बयान ने देश की विदेश नीति को लेकर नई सियासी बहस छेड़ दी है। उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच फिर से बातचीत शुरू करने की वकालत करते हुए सवाल उठाया कि जब भारत चीन के साथ कूटनीतिक बातचीत करने को तैयार है, तो पाकिस्तान के साथ क्यों नहीं?
अय्यर ने मौजूदा विदेश नीति की आलोचना करते हुए कहा कि हाल के वर्षों में जब भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर था, उस समय चीन पूरी तरह पाकिस्तान के साथ खड़ा था और उसे सैन्य सहयोग भी दे रहा था। इसके बावजूद भारत चीन के साथ वार्ता कर रहा है। फिर पाकिस्तान के प्रति यह शत्रुतापूर्ण रुख क्यों?
उन्होंने यह भी कहा कि “ऑपरेशन सिंदूर” के समय चीन ने पाकिस्तानी वायुसेना का समर्थन किया था। ऐसे में यदि बीजिंग से बातचीत संभव है, तो इस्लामाबाद से क्यों नहीं?
'यह युद्ध का युग नहीं': अय्यर ने पीएम मोदी के बयान का दिया हवाला
अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस पुराने बयान की भी याद दिलाई जिसमें उन्होंने कहा था कि “यह युद्ध का युग नहीं है और संवाद ही एकमात्र रास्ता है।” इस पर अय्यर ने सवाल किया कि यह सिद्धांत पाकिस्तान के मामले में क्यों नहीं अपनाया जा रहा?
‘विदेश नीति में ना सिद्धांत, ना लक्ष्य’
कांग्रेस नेता ने सरकार की कूटनीति पर सवाल उठाते हुए कहा, “हमारी विदेश नीति में न तो स्पष्ट सिद्धांत हैं और न ही कोई लक्ष्य। यह नीति किस दिशा में जा रही है?”
ट्रंप के मध्यस्थता वाले बयान पर भी उठाए सवाल
अय्यर ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को भी दोहराया जिसमें उन्होंने कहा था कि वह भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम में मध्यस्थता कर रहे हैं। अय्यर ने पूछा कि भारत सरकार ने ट्रंप के इन बयानों का सख्ती से खंडन क्यों नहीं किया?
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के पास न तो सच बोलने का साहस है और न ही अपने तथाकथित मित्रों या विरोधियों के सामने स्पष्ट रुख अपनाने की हिम्मत।
‘पाकिस्तान को फायदा, भारत भुगत रहा नुकसान’
अय्यर ने कहा कि ट्रंप के बयानों का पाकिस्तान ने भले स्वागत किया हो, लेकिन भारत ने बार-बार किसी भी तरह की मध्यस्थता से इनकार किया है। इसका परिणाम यह है कि पाकिस्तान को राजनीतिक लाभ मिल रहा है और भारत को राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।