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तेल खरीद पर भारत की दो-टूक: राष्ट्रीय हित में ही होगा हर फैसला

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India-Russia Oil Deal पर सरकारी सूत्रों की सफाई, कहा- ट्रंप का बयान भ्रामक

नई दिल्ली: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर दिया है। इस पर भारत सरकार के सूत्रों ने ANI को बताया कि यह दावा “गलत और भ्रामक” है। भारत अभी भी रूस से कच्चे तेल की खरीद कर रहा है, और यह फैसला पूरी तरह से आर्थिक, रणनीतिक और तकनीकी कारणों पर आधारित होता है।

सूत्रों के मुताबिक, भारत की तेल खरीद की नीति में मूल्य, गुणवत्ता, भंडारण की स्थिति और लॉजिस्टिक कारकों की अहम भूमिका होती है। रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उत्पादक है और भारत अपनी 85% तेल जरूरतें आयात के जरिए पूरी करता है। ऐसे में ऊर्जा सुरक्षा को लेकर भारत का रुख व्यावहारिक और संतुलित है।

रियायती तेल से भारत को राहत

मार्च 2022 में जब वैश्विक बाजार में रूसी तेल को लेकर अनिश्चितता बढ़ी थी, तब कच्चे तेल की कीमतें 137 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं। भारत ने G7 और यूरोपीय यूनियन द्वारा तय किए गए 60 डॉलर प्रति बैरल के प्राइस कैप के तहत ही रूसी तेल खरीदा है।

यूरोप का दोहरा रवैया

भारत पर सवाल उठाने वाले यूरोपीय देश खुद रूस से LNG का सबसे बड़ा आयातक बने हुए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, यूरोप ने रूस से निर्यात होने वाली कुल LNG का 51% हिस्सा खरीदा है, जबकि चीन और जापान क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।

भारत की स्पष्ट नीति

सरकारी सूत्रों ने कहा कि भारत की ऊर्जा नीति पूरी तरह से राष्ट्रीय हित और अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप है। ट्रंप के बयान पर टिप्पणी करते हुए भारत ने कहा कि ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया है जिससे रूस से तेल आयात बंद हो।

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