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विवादों से घिरे मंत्री शाह, पीड़िता के परिवार की निजता भंग करने का आरोप

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मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के आदिवासी क्षेत्र खालवा में गैंगरेप और हत्या की दिल दहला देने वाली घटना के नौ दिन बाद राज्य के मंत्री विजय शाह मंगलवार को पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे. हालांकि, उन्होंने मीडिया से किसी तरह की बातचीत नहीं की. लेकिन विवाद उस वक्त फिर से गहराया जब पीड़ित परिवार के साथ उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं.

 

वायरल हो गईं तस्वीरें

बताया जा रहा है कि जब विजय शाह खालवा में मृतका के परिजनों से मिलने पहुंचे, तब स्थानीय लोगों और कार्यकर्ताओं ने उस मुलाकात की तस्वीरें क्लिक कर सोशल मीडिया पर डाल दीं. इनमें पीड़िता के परिजनों के चेहरे साफ नजर आ रहे हैं, जिससे उनकी निजता भंग हुई है. इस पर अब मंत्री को चौतरफा आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.

 

पुराना विवाद क्या था?

विजय शाह से जुड़ा यह कोई पहला विवाद नहीं है. बीते दिनों उन्होंने भारतीय सेना की महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी को 'आतंकियों की बहन' कहकर अभद्र टिप्पणी की थी. कर्नल कुरैशी उन तीन वरिष्ठ अधिकारियों में शामिल थीं, जिन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर मीडिया को ब्रीफ किया था. विजय शाह की यह टिप्पणी सोशल मीडिया से लेकर अदालत तक में भारी विरोध का कारण बनी.

मामले को गंभीर मानते हुए सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट दोनों ने स्वतः संज्ञान लेते हुए विजय शाह के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की और एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया. हालांकि मंत्री ने माफी मांग ली, लेकिन कोर्ट ने यह माफी अस्वीकार कर दी.

 

गिरफ्तारी से मिली राहत

इस बीच, सरकार ने एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित की, जिसने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है. विपक्ष का आरोप है कि विजय शाह के जातीय वोटबैंक और राजनीतिक रसूख की वजह से अब तक उनके खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो सकी है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी विजय शाह को कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ टिप्पणी मामले में गिरफ्तारी से राहत देते हुए उनकी अंतरिम सुरक्षा को बढ़ा दिया है. 

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