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पुतिन का तोहफा: यूक्रेन युद्ध के बीच वीरता को सलाम, 12 रूसी सैनिकों को मिला करोड़ों का इनाम

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रूस: यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच रूस ने अपने सैनिकों को करोड़पति बना दिया है. रूस ने दावा किया है कि उसके सैनिकों ने अमेरिका का एफ-16 फाइटर जेट मार गिराया है. इस काम के बदले रूस के 12 सैनिकों को करोड़ों रुपये का इनाम दिया गया है. इनाम देने वाली कोई सरकारी एजेंसी नहीं बल्कि एक बड़ी तेल कंपनी है, जो रूस की जंग में खुलकर साथ दे रही है.

रूसी ऑयल कंपनी Fores ने उन 12 सैनिकों को कुल 1.5 करोड़ रूबल (करीब 1.6 लाख डॉलर यानी लगभग 13.5 करोड़ रुपये) का इनाम दिया है, जिन्होंने पहले अमेरिकी एफ-16 को मार गिराया. ये इनाम 29 मई को एक खास समारोह में बॉर्डर पर दिया गया, जिसमें सैन्य अफसर भी मौजूद थे. Fores ने कहा कि हमने पहले ही घोषणा की थी कि जो भी पहले एफ-16 को गिराएगा, उसे इनाम दिया जाएगा. अब हमने वादा पूरा कर दिया है.

स्टिंगर से नहीं, लंबी दूरी की मिसाइल से मार गिराया
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अप्रैल 2025 में एक एफ-16 जेट को रूस ने 40N6 लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल से गिराया था. ये हमला यूक्रेन के कब्जे वाले इलाके में हुआ था. हालांकि रूस की सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि इनाम उसी घटना के लिए दिया गया है या किसी और के लिए. अब तक तीन एफ-16 के क्रैश की खबर आ चुकी है, जिनमें से एक पर दुश्मन के हमले की पुष्टि हुई है, बाकी दो की जांच जारी है.

पश्चिमी हथियारों को निशाना बनाने की रणनीति
Fores कंपनी पहले भी NATO से मिले टैंकों को उड़ाने वाले सैनिकों को इनाम दे चुकी है. ये रूस की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत पश्चिमी हथियारों को निशाना बनाने पर सैनिकों को मोटी रकम दी जा रही है. Fores न सिर्फ इनाम देती है, बल्कि रूस की जंग को आर्थिक और लॉजिस्टिक मदद भी देती है. अब तक यह कंपनी 30 लाख डॉलर से ज्यादा का सामान जैसे ड्रोन जैमर, थर्मल साइट, दवाइयां और मेडिकल उपकरण भेज चुकी है.

अमेरिका से मांग, यूरोप से सप्लाई
यूक्रेन काफी समय से अमेरिका से F-15 और F-16 जैसे अत्याधुनिक फाइटर जेट मांग रहा था. 2024 की गर्मियों में डेनमार्क और नीदरलैंड्स ने 60 अमेरिकी एफ-16 देने का वादा किया और कुछ जेट यूक्रेन पहुंच भी गए. इसके अलावा नॉर्वे, बेल्जियम और ग्रीस ने भी ऐसे ही वादे किए हैं. पायलटों की ट्रेनिंग रोमानिया में बने यूरोपीय एफ-16 ट्रेनिंग सेंटर में हो रही है. हालांकि, यूक्रेन को इन जेट्स के मेंटेनेंस, स्पेयर पार्ट्स और ऑपरेशन को लेकर कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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