Search ई-पेपर ई-पेपर WhatsApp

Stoppage: थानों में बन रहे मंदिरों पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

By
On:

Stoppage: जबलपुर(ई-न्यूज)। थानों में बन रहे मंदिरों पर एक याचिका के बाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। यह मामला कोर्ट में तब पहुंचा जब राज्य में पुलिस थानों के परिसर में मंदिरों के निर्माण को लेकर शिकायतें सामने आईं। हाईकोर्ट ने प्रदेश के डीजीपी (डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस) और मुख्य सचिव सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को इस संबंध में नोटिस जारी किया है। अदालत ने इन अधिकारियों से निर्देश दिया है कि वे अगली सुनवाई में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखें और यह स्पष्ट करें कि सरकारी परिसर में धार्मिक स्थलों का निर्माण क्यों और किस आधार पर किया जा रहा है।


बैतूल के थानों में भी है 4 मंदिर


प्रदेश में करीब 800 पुलिस थानों में मंदिर पहले से मौजूद हैं, जिनका धार्मिक और सामाजिक महत्व स्थानीय समुदायों के बीच काफी गहरा है। रिटायर्ड आईजी बीएस चौहान इंस्पेक्टर जनरल ने इस संदर्भ में अपनी राय रखते हुए कहा कि पुलिस थानों के इन मंदिरों ने कई विवादों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके अनुसार, मंदिरों में लोग न केवल पूजा-अर्चना के लिए आते हैं, बल्कि सामाजिक झगड़ों और विवादों को भी मंदिर की पवित्र चौखट पर निपटाने की परंपरा रही है। कई बार ऐसा हुआ है कि स्थानीय लोग और पुलिसकर्मी मिलकर मंदिर में बैठकर समस्याओं का समाधान निकालते रहे हैं, जिससे माहौल में शांति और सामंजस्य बना रहता है।


ओपी यादव की याचिका पर लगी रोक


हाईकोर्ट में ओपी यादव की याचिका पर मंदिरों के निर्माण पर रोक लगा दी गई है। हाईकोर्ट का यह फैसला सरकारी स्थानों पर धार्मिक स्थलों के निर्माण से जुड़े कानूनी और संवैधानिक पहलुओं को लेकर बहस को फिर से तेज कर सकता है। थानों में बने मंदिरों को लेकर याचिकाकर्ता के वकील सतीश वर्मा कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार इस तरह के निर्माण अवैध हैं और इन्हें हटाना ही होगा। वे सवाल करते हैं कि क्या थानेदारों का काम परिसर में मंदिर बनवाना ही रह गया है। यदि धार्मिक स्थल ही बनाना है, तो फिर मंदिर ही क्यों? गुरुद्वारा, मस्जिद, चर्च क्यों नहीं बनाए जाते।


मंदिरों का भविष्य तय करेगा फैसला


विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुद्दा सार्वजनिक संसाधनों के उपयोग, सरकारी परिसरों में धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा, और धार्मिक विश्वासों के संतुलन जैसे कई पहलुओं को छूता है। कोर्ट के निर्देशों के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन इस मामले में क्या जवाब देते हैं और इन मंदिरों का भविष्य क्या होता है। कोर्ट का अंतिम निर्णय न केवल मंदिरों के निर्माण के संदर्भ में दिशा तय करेगा, बल्कि यह भी निर्धारित करेगा कि आने वाले समय में सरकारी परिसरों में धार्मिक गतिविधियों का क्या स्वरूप रहेगा?

source internet साभार…

For Feedback - feedback@example.com

Related News

Home Icon Home E-Paper Icon E-Paper Facebook Icon Facebook Google News Icon Google News