दिव्यांगों, बुजुर्गों और दृष्टिबाधितों के लिए विशेष छड़ियां
Special sticks: दिव्यांगों, बुजुर्गों और दृष्टिबाधितों की राह को सुगम बनाने के लिए इंदौर के पूर्व विज्ञानी संजय खेर और उनकी टीम ने तीन प्रकार की विशेष छड़ियां तैयार की हैं। ये छड़ियां न केवल चलने में सहायता करती हैं, बल्कि बाधाओं से बचाने के साथ-साथ आपात स्थिति में सुरक्षा भी प्रदान करती हैं। इनका वजन 300 ग्राम तक है और ये रिचार्जेबल हैं। छड़ियों के प्रारंभिक प्रयोग के परिणाम उत्साहजनक रहे हैं, और इनमें भविष्य में कैमरा भी जोड़ा जाएगा।
संगिनी नाम की छड़ी खासतौर पर बुजुर्गों के लिए बनाई गई है। इसमें फ्रीज डिटेक्शन सिस्टम है, जो हाथ कठोर होने पर अलार्म बजाता है। इसमें एक टाइमर, लेजर लाइट, टार्च और पैनिक बटन भी है, जो बुजुर्गों को सुरक्षित रखने में मदद करता है।
सहारा नाम की छड़ी में सोनार सेंसर लगा है, जो दृष्टिबाधितों को ठोकर और टक्कर से बचाता है। यह छड़ी सामने आने वाली बाधाओं को भांपकर व्यक्ति को सचेत कर देती है, जिससे दुर्घटनाओं से बचाव हो सके। स्पंदिनी नाम की छड़ी माइक्रो कंट्रोलर बेस्ड सोनार सेंसर से लैस है। यह ध्वनि नेविगेशन के माध्यम से दृष्टिबाधित व्यक्ति को रास्ता बताने में मदद करती है।
संजय खेर ने इन छड़ियों के निर्माण में विशेष किशोरों को भी शामिल किया है, जो दिव्यांग हैं या जिनके माता-पिता नहीं हैं और जो आश्रम में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। इस पहल का उद्देश्य इन किशोरों को विज्ञान से जोड़ना और उनके भीतर विज्ञान के प्रति रुचि विकसित करना है। उज्जैन के सेवाधाम आश्रम में रहने वाले 10 किशोरों को छड़ी बनाने का प्रशिक्षण दिया गया, और वे इस कार्य में दक्ष हो गए। यह अनूठा प्रयास न केवल तकनीकी कौशल को बढ़ावा देता है, बल्कि किशोरों को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी प्रेरित करता है।
source internet साभार…