Religion: दीपावली के पर्व पर कई परिवारों की प्राचीन परंपराओं और धरोहरों का अद्भुत मेल देखने को मिलता है। ये पारंपरिक पूजा-सामग्री पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है और दीपावली के खास अवसर पर ही बाहर लाई जाती है। इनमें सोने और चांदी के दुर्लभ सिक्के, महालक्ष्मी की सोने से बनी छवियां, पुरानी कलम-दवात और पीतल के दीपक शामिल हैं।
विशेष धरोहरें:गुप्तकाल की स्वर्ण मुद्रा: एक परिवार के पास गुप्त काल की दुर्लभ स्वर्णमुद्रा है, जिसमें महालक्ष्मी की आकृति उत्कीर्ण है। दीपावली पर इसका विधिवत पूजन किया जाता है।
सोने के तार से बनी महालक्ष्मी: एक उद्योगपति परिवार के पास सोने के तार से बनी महालक्ष्मीजी की एम्बोस्ड फोटो है, जिसका दीपावली के दिन विशेष पूजन होता है।
100 साल पुरानी कलम-दवात: उषानगर के व्यवसायी परिवार के पास 100 साल पुरानी पीतल की कलम-दवात है, जिसका प्रयोग दीपावली के मुहूर्त पर बहीखाता लिखने में किया जाता है।
पुराने चांदी के सिक्के: कुछ व्यापारी परिवारों के पास 100 साल से अधिक पुराने चांदी के सिक्के हैं, जिनका पूजन धनतेरस पर किया जाता है।
125 साल पुरानी समई: इंदौर के एमटी क्लॉथ मार्केट और सराफा बाजार के व्यापारियों के पास 75 से 125 साल पुरानी समई (दीप प्रज्ज्वलित करने का दीपक) है, जिसे महालक्ष्मी पूजन के लिए जलाया जाता है।ये धरोहरें न केवल परिवार की परंपराओं का प्रतीक हैं, बल्कि इन्हें सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक मानते हुए श्रद्धापूर्वक पूजा जाता है।
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