स्थाई लोक अदालत ने जारी किए आदेश
Rate list: बैतूल। बैतूल की स्थाई लोक अदालत ने जिले के प्राईवेट चिकित्सालय, नर्सिंगहोम्स, क्लीनिकल स्टेबलिस्टमेंट में रेट लिस्ट लगाने के आदेश किए है। इस मामले में समाजसेवी अनिल वर्मा ने अदालत के सामने आवेदन पेश किया था। जिस पर सुनवाई के बाद यह आदेश जारी किया गया है। कोर्ट ने इसे 20 दिन के भीतर लागू करने और इसके प्रमाण कोर्ट के सामने पेश करने को भी कहा है। चक्कर रोड निवासी कृषक अनिल वर्मा ने इस मामले में कलेक्टर और, सीएमएचओ को प्रतिवादी बनाते हुए स्थाई लोक अदालत लोकोपयोगी सेवाओं में आवेदन किया था। जिसमें जिले में संचालित समस्त प्राईवेट चिकित्सालय, नर्सिंगहोम्स, क्लीनिकल स्टेबलिस्टमेंट म.प्र. उपचर्यागृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनायें (रजिस्ट्रेशन तथा अनुज्ञापन) अधिनियम 1973 के तहत पर्यवेक्षी प्राधिकारी को प्रेषित शुल्क सूची प्रमुख रूप से प्रदर्शित करने तथा रेट लिस्ट में आदेशानुसार 40 प्रतिशत अधिकतम की वृद्धि कर 29 फरवरी 2020 के पश्चात् से कोविड-19 से ग्रस्त मरीजों से शुल्क प्राप्त करने व धारा 3 के आदेश के उल्लंघन में 29 फरवरी 2020 के पश्चात् से प्राप्त किये गये शुल्क का मरीज को वापस दिलाये जाने की याचना की गई थी।सीएमएचओ के खुद इस अदालत पीठ के सदस्य होने के कारण निर्णय और सुनवाई के दौरान उन्हें इस पीठ में शामिल नहीं किया गया।
यह किया गया आदेश
अनिल वर्मा के अधिवक्ता गिरीश गर्ग ने बताया कि अदालत ने कलेक्टर और सीएमएचओ को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि बैतूल जिले में संचालित समस्त प्राईवेट चिकित्सालय, नर्सिंगहोम्स, क्लीनिकल स्टेबलिस्टमेंट के तहत पर्यवेक्षी प्राधिकारी को प्रेषित शुल्क सूची प्रमुख रूप से प्रदर्शित करे। चिकित्सालय द्वारा शुल्क सूची प्रदर्शित न करने से आमजन को कठिनाई होने से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसी स्थिति में चिकित्सालय में विभिन्न चिकित्सीय सेवाओं की दर सूची प्रदर्शित किया जाना आवश्यक है। इसलिए पर्यवेक्षी प्राधिकारी को प्रेषित शुल्क सूची (रेट लिस्ट) प्रदर्शित कराया जाना सुनिश्चित करें और 20 दिवस के भीतर प्रमाण प्रस्तुत करे।
स्वास्थ्य विभाग बोला परेशान करने की नियत
इस मामले में जारी आदेश से यह भी निकलकर सामने आया कि अनिल वर्मा के आवेदन को स्वास्थ्य विभाग ने अपने जवाब में मात्र प्रशासन को चिकित्सा विभाग को परेशान की नियत से प्रकरण प्रस्तुत किये जाने की बात कही थी।
यह मिलेगा फायदा
अधिवक्ता गिरीश गर्ग ने बताया कि इस आदेश से जिले के हजारों मरीजों को यह लाभ मिलेगा कि वे पर्यवेक्षी अधिकारी यानी सीएमएचओ को हॉस्पिटल जो रेट लिस्ट भेजते है। उसी सूची को प्रदर्शित करना पड़ेगा और उसी सूची के अनुरूप नियमानुसार शुल्क लेना पड़ेगा।