Shortage of doctors: आयुष्मान भारत योजना के आंकड़ों से यह सामने आया है कि मध्यप्रदेश से बड़ी संख्या में मरीज बेहतर इलाज के लिए अन्य राज्यों का रुख कर रहे हैं। 2018 में 399 मरीजों ने दूसरे राज्यों में इलाज कराया, जो 2024 में बढ़कर 35,327 हो गया है। पिछले सात वर्षों में, 1.32 लाख से अधिक मरीजों ने अन्य राज्यों में इलाज करवाया, जिस पर मध्यप्रदेश सरकार ने 1,085 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। वहीं, दूसरे राज्यों से मप्र में इलाज के लिए केवल 8,747 मरीज आए, जिससे राज्य को 220 करोड़ रुपये की आय हुई है।
मुख्य कारण: डॉक्टरों की कमी और सीमित स्वास्थ्य सुविधाएं
मप्र में सरकारी डॉक्टरों की संख्या केवल 24,000 है, जबकि राज्य की जनसंख्या 8.5 करोड़ से अधिक है। हर साल लगभग 800 से 1,000 डॉक्टर राज्य छोड़कर अन्य राज्यों में चले जाते हैं। कैंसर और हार्ट जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए भी मप्र के सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। राज्य सरकार की योजना है कि कैंसर उपचार के लिए पांच मेडिकल कॉलेजों में नई मशीनें जैसे लीनेक और रेडियोथैरेपी लाई जाएंगी, ताकि मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके।
इलाज के लिए अन्य राज्यों की ओर रुख
मध्यप्रदेश से सबसे ज्यादा मरीज गुजरात और महाराष्ट्र जाते हैं। गुजरात में 4,996 मामलों में 492.75 करोड़ और महाराष्ट्र में 4,161 मामलों में 113.07 करोड़ के क्लेम मप्र सरकार को प्राप्त हुए हैं। उत्तर प्रदेश से 7,772 मरीज मप्र में इलाज के लिए आए हैं, जिससे मप्र को 199.27 करोड़ की आय हुई है।
सीमावर्ती जिलों से बाहर इलाज का झुकाव
मप्र की सीमाएं पांच राज्यों से लगती हैं, जिसके कारण सीमावर्ती जिलों के लोग आसपास के राज्यों में आसानी से इलाज करवा लेते हैं। इंदौर रीजन से लोग गुजरात जाते हैं और छिंदवाड़ा रीजन से नागपुर के लिए रुख करते हैं। हालांकि, सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे आने वाले समय में मप्र में बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी।
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