सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को एक बड़ा आर्थिक झटका
Economic shock: दिवाली के अवसर पर जब सभी को पर्व मनाने के लिए अतिरिक्त पैसों की आवश्यकता होती है, तब मध्यप्रदेश के सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को एक बड़ा आर्थिक झटका लगा है। राज्य सरकार की सख्ती के कारण नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों को इस नुकसान का सामना करना पड़ा है। निगम ने कई अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है, जिससे विभाग में हड़कंप मच गया है।
वित्तीय अनियमितताओं पर सख्त कार्रवाई
नागरिक आपूर्ति निगम में बड़े पैमाने पर हो रही अनियमितताओं और लापरवाही की शिकायतों को देखते हुए, निगम के मैनेजमेंट ने सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। जबलपुर ब्रांच में पदस्थ वित्त प्रबंधक अरविंद नगरारे के खिलाफ गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे थे। जांच के बाद दोषी पाए जाने पर उन पर सख्त कार्रवाई की गई। नगरारे पर आरोप था कि उन्होंने एक परिवहन ठेकेदार को नियमों के विरुद्ध 52 लाख रुपए का अनुचित लाभ पहुंचाया। इस मामले में उनकी अपील भी खारिज कर दी गई है और कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
मुरैना के जिला प्रबंधक पर कार्रवाई
मुरैना में पदस्थ प्रभारी जिला प्रबंधक अरुण कुमार जैन के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की गई है। जैन की तीन वेतन वृद्धियां निरस्त कर दी गई हैं। उन्होंने अपनी वेतन वृद्धि बहाल करने की अपील की थी, लेकिन सरकार ने इसे खारिज कर दिया। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाने को तैयार है।
आउटसोर्स अधिकारियों पर भी सख्ती
नागरिक आपूर्ति निगम ने आउटसोर्स पर रखे गए अधिकारियों पर भी कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। जिन अधिकारियों पर पूर्व में भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं, उन्हें तुरंत सेवा से हटाने के आदेश दिए गए हैं। इसके साथ ही, निगम ने आदेश दिया है कि भविष्य में केवल उन्हीं अधिकारियों की नियुक्ति की जाए जिन पर कोई पूर्व आरोप नहीं हो।
आर्थिक नुकसान और तनाव
इन कार्रवाइयों से कई अधिकारियों और कर्मचारियों को दिवाली के दौरान आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा है। यह स्थिति अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए कठिन हो गई है, क्योंकि पर्व के समय जब अतिरिक्त धन की आवश्यकता होती है, उन्हें वेतन वृद्धि और अन्य लाभों से वंचित होना पड़ा।
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