Search ई-पेपर ई-पेपर WhatsApp

26 या 27 मई.. कब है वट सावित्री व्रत, इस दिन ये कथा जरूर सुनें, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

By
On:

पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिन महिलाएं साल भर में कई व्रत रखती हैं. उनमें से एक वट सावित्री व्रत है. सनातन धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि वट सावित्री पूजा के दिन अगर सुहागिन महिलाएं विधि-विधान से व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा करें तो उन्हें अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है. देवघर के आचार्य से जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त.

ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री पूजा की जाती है. इस दिन सुहागिन महिलाएं लाल वस्त्र पहनकर निर्जला व्रत रखती हैं. वट वृक्ष की पूजा करती हैं. साथ ही श्रृंगार का सामान भी अर्पण करती हैं. इससे सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है

जानिए कब है वट सावित्री व्रत
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, वट सावित्री व्रत की शुरुआत 26 मई सुबह 11 बजकर 21 मिनट से हो रही है और समापन अगले दिन यानी 27 मई सुबह 08 बजकर 12 मिनट पर होगा. अमावस्या में रात्रि का विशेष महत्व होता है, इसलिए 26 मई को ही वट सावित्री व्रत रखा जाएगा.

करें भगवान शिव की पूजा
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि वट सावित्री व्रत के दिन 26 मई को वट वृक्ष की पूजा षोडशोपचार विधि से शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 04 बजकर 24 मिनट से 07 बजकर 25 मिनट तक रहेगा. अगर इस मुहूर्त में पूजा नहीं कर पाते हैं तो अभिजीत मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं. अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा.

यह कथा जरूर सुनें..
मान्यता है कि सबसे पहले वट सावित्री का व्रत राजा अश्वपति की पुत्री सावित्री ने अपने पति सत्यवान के लिए रखा था. तभी से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखती हैं. वट सावित्री व्रत पर सत्यवान-सावित्री की कथा पढ़ने या श्रवण करने से अधिक पुण्य फल की प्राप्ति होती है.

For Feedback - feedback@example.com
Home Icon Home E-Paper Icon E-Paper Facebook Icon Facebook Google News Icon Google News