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दिल्ली में तीसरा कृत्रिम बारिश ट्रायल सफल! IIT कानपुर बताएगा कितनी घटी दिल्ली की हवा में जहरीली धूल

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दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए एक बार फिर क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) का सहारा लिया गया। राजधानी दिल्ली के ऊपर IIT कानपुर की टीम ने मंगलवार को तीसरा सफल कृत्रिम बारिश का ट्रायल पूरा किया। इस दौरान आसमान से हल्की फुहारें भी दर्ज की गईं। अब सबकी नज़र IIT कानपुर की रिपोर्ट पर है, जिसमें बताया जाएगा कि इस बारिश से AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) में कितनी गिरावट आई है।

1. कैसे हुआ दिल्ली में तीसरा ट्रायल

IIT कानपुर की टीम ने मंगलवार को Cessna एयरक्राफ्ट की मदद से तीसरा क्लाउड सीडिंग ट्रायल किया। विमान मेरठ से उड़ान भरकर दिल्ली के ऊपर पहुंचा और खेखरा, बुराड़ी, नॉर्थ करोल बाग और मयूर विहार जैसे इलाकों में प्रयोग किया गया। इस दौरान करीब 8 फ्लेयर्स (प्रत्येक 2 से 2.5 किलो वज़न) का उपयोग किया गया। ये फ्लेयर्स बादलों में विशेष केमिकल छोड़ते हैं, जिससे बादलों में नमी बढ़ती है और कृत्रिम बारिश होती है।

2. क्या है क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया?

क्लाउड सीडिंग एक वैज्ञानिक मौसम संशोधन तकनीक है, जिसमें बादलों में खास प्रकार के रासायनिक तत्व (जैसे सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड और ड्राई आइस) छोड़े जाते हैं। ये तत्व बादलों में मौजूद पानी की बूंदों को बड़ा कर देते हैं जिससे बारिश की संभावना बढ़ जाती है। इस तकनीक का इस्तेमाल दुनिया के कई देशों में वायु प्रदूषण कम करने और सूखे इलाकों में वर्षा लाने के लिए किया जाता है।

3. किन परिस्थितियों में होती है कृत्रिम बारिश

हर बादल इस प्रक्रिया के लिए उपयुक्त नहीं होता। इसके लिए कुछ शर्तें ज़रूरी हैं —

  • बादलों की गहराई पर्याप्त होनी चाहिए
  • तापमान -10°C से -12°C के बीच होना चाहिए
  • हवा की गति बहुत तेज़ नहीं होनी चाहिए
  • बादलों में कम से कम 75% नमी (Humidity) होनी चाहिए

अगर बादलों में नमी कम हो तो सीडिंग का असर नहीं होता। यही वजह है कि IIT कानपुर की टीम हर बार मौसम की स्थिति देखकर ही ट्रायल करती है।

4. प्रदूषण कम करने में कितना असरदार होगा ये तरीका

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मंजींदर सिरसा ने कहा कि यह तीसरा ट्रायल सफल रहा है। लेकिन उन्होंने माना कि “कम नमी में बारिश कराना सबसे बड़ी चुनौती है।” IIT कानपुर अब डेटा के आधार पर रिपोर्ट तैयार करेगा कि इस प्रयोग के बाद दिल्ली का AQI कितना घटा। पिछली बार जहां 15–20% ह्यूमिडिटी थी, वहीं इस बार नमी थोड़ा ज़्यादा पाई गई।

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5. दिल्ली वालों की उम्मीद – साफ़ हवा की ओर कदम

दिल्ली में लगातार बिगड़ती हवा के बीच यह प्रयोग लोगों में नई उम्मीद लेकर आया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह तकनीक सफल होती है, तो सर्दियों में स्मॉग की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है। आने वाले दिनों में अगर मौसम ने साथ दिया, तो दिल्ली-एनसीआर में क्लाउड सीडिंग के और भी ट्रायल किए जाएंगे।

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