मां सरस्वती की पूजा माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी के रूम की जाती है. इसे सरस्वती पूजा भी कहते हैं. इस दिन मां सरस्वती की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा की जाती है. इस दिन पूजा-पाठ करने से मनोकामनाओं की पूरी होती हैं. इस बार बसंत पंचमी की तिथि को लेकर लोगों के मन में थोड़ी कंफ्यूजन है .कोई 2 फरवरी को बसंत पंचमी बता रहा है तो किसी का कहना है कि इस बार 3 फरवरी को बसंत पंचमी होगी. तो आखिर क्या है असल तारीख और क्या है मां सरस्वती के पूजा का शुभ मुहूर्त..
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 2 फरवरी को सुबह 9:14 से हो रही है जिसका समापन 3 फरवरी को सुबह 6:52 पर होगा. उदया तिथि के अनुसार बसंत पंचमी का पर्व 3 फरवरी को मनाया जाना चाहिए. इस दिन मां सरस्वती के साथ भगवान गणेश, मां लक्ष्मी, नवग्रह की पूजा का विधान है. इसके साथ ही बसंत पंचमी के दिन रेवती नक्षत्र अथवा सिद्धि योग का भी संयोग बना रहा है जिसमें मां सरस्वती की पूजा करने से कई गुना फल की प्राप्ति भी होगी.
भगवान शिव व माता पार्वती का तिलकोत्सव हुआ था
बसंत पंचमी के दिन ही भगवान शिव व माता पार्वती का तिलकोत्सव हुआ था और उनके विवाह की रस्में शुरू हुईं थीं. ऐसे में इस दिन को मंगल और शुभ कार्य के लिए उत्तम माना गया है. इस दिन गृह प्रवेश, नौकरी व व्यापार का आरंभ, भूमि पूजन, वाहन, आभूषण की खरीदारी की जाती है. इस दिन पीले रंग के कपड़ों को पहनकर माता सरस्वती की पूजा की जाती है. पीले चावल, हल्दी और मिठाई के साथ पीले फूल दान करने का महत्व है.
नई फसल के आने के पर्व के तौर पर बसंत पंचमी को मनाया जाता है. इस मौसम में कई प्रकार के फूल फल खिलते हैं. ऐसे में वसंत पंचमी मनाई जाती है. यहां एक मान्यता के माने तो इसी दिन माता सरस्वती प्रकट हुईं थीं, इसलिए उनकी याद में इस पर्व को मनाया जाता है. विद्या एवं बुद्धि की देवी माता सरस्वती के आशीष से ज्ञान, कला और इनकी समझ का वरदान मिलता है.